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लेखनी कहानी -14-Sep-2022 लव मैरिज

श्री अपनी डेस्क पर ऑफिस का काम निबटा रहा था कि सेवक राम ने उसके पास आकर कहा "साहब, आपको बड़े साहब बुला रहे हैं" । "अच्छा , अभी आता हूं" । और अगले ही पल श्री बॉस के केबिन में आ गया । 

"आओ आओ श्री, कैसे हो" ? 
"जी अच्छा हूं । आप कैसे हैं सर" ? 
"एकदम बढिया । अरे ,आज एक अर्जेण्ट काम आया है । सो प्लीज उसे अभी निबटा देना । सारी डिटेल भव्य समझा देंगे आपको । मैं अभी भव्य को बोल देता हूं" । बॉस ने बिना श्री की ओर देखे अपने कम्यूटर में ही आंखें गड़ाये हुए कहा । 
श्री ने घड़ी की ओर देखा । दोपहर के सवा बज रहे थे । वह तुरंत बोला "लंच के बाद कर दूंगा सर" 
"लंच के बाद नहीं , अभी करना है । इट्स अर्जेण्ट । अगर अभी नहीं किया तो ये कॉन्ट्रैक्ट हाथ से निकल जायेगा , समझे" । बॉस ने अभी भी उसकी ओर नहीं देखा था । 
"सॉरी सर, मैं अभी तो नहीं कर पाऊंगा" । श्री के चेहरे पर दृढ़ता के भाव थे । 

अब बॉस ने पहली बार श्री की ओर देखा । उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि उसका कोई मातहत कर्मचारी उसे मना कर सकता है । बॉस ने उसकी आंखों में आंखें डालते हुए एक एक शब्द चबाते हुए कहा "ये काम अभी ही करना है और अब इस पर कोई बात नहीं होगी" । उसके स्वर में दो टूक आदेश था । या तो अभी काम करो या अपना बोरिया बिस्तर समेटो । 

श्री ने स्थिति की नजाकत देखी । एक मिनट सोचा और फिर कहा "सॉरी सर, अभी तो मैं लंच करूंगा । लंच से फ्री होकर ही कर पाऊंगा यह काम" । और वह वहां बिना रुके अपने केबिन में आ गया । अपने केबिन में आकर वह अपना सामान समेटने लगा । उसे पता था कि अभी दस मिनट में उसके पास एक पत्र और अब तक की तनख्वाह लेकर सेवक राम आने ही वाला है । 

बॉस के केबिन से जब श्री बाहर आ रहा था तब भव्य बॉस के केबिन में दाखिल हो रहा था । उसने श्री का कठोर और बॉस का गुस्से वाला चेहरा देख लिया था । माहौल की नजाकत वह समझ चुका था । उसने माहौल ठीक करने के लिये कहा "शायद आज श्री की तबीयत ठीक नहीं है" 
"मुझे ठीक करना आता है । ऐसे बहुत से श्री देखे हैं मैंने" 
"आखिर हुआ क्या है, सर ? आज से पहले इतना पजल कभी नहीं देखा आपको" ? 
"अब क्या बताऊं तुम्हें भव्य ? एक कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट मिला है । उसी के बारे में कुछ रिपोर्ट तैयार करनी थी अर्जेण्ट । मैंने श्री को वह रिपोर्ट तैयार करने को कहा तो उसने मना कर दिया । ये भी कोई बात है" ? 
"सर, मुझे बताइए । मैं तैयार कर देता हूं वह रिपोर्ट" । 
"तुम क्यों तैयार करोगे ? अगर श्री नहीं करेगा तो उसे यह जॉब छोड़ना होगा । अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं है मुझे" । बॉस के चेहरे से गुस्सा बरस रहा था 
"सर, श्री बहुत अच्छा लड़का है और वह अनुशासनहीन तो बिल्कुल भी नहीं है । आपकी तो बहुत इज्जत करता है वह" । 
"तो फिर उसने वह रिपोर्ट तैयार करने से मना क्यों कर दिया" ? 
"उसने लंच के बाद तैयार करने को बोला होगा सर" । 
"एक्जेटली यही कहा था उसने । पर वह रिपोर्ट अभी चाहिए" 
"सर, वह लंच टाइम अपने लिए रिजर्व रखता है । इस अवधि में वह और कुछ कर ही नहीं सकता है , सर" 
"ऐसा क्या करता है वह लंच टाइम में" 
"लंच ही करता है, और कुछ नहीं" 
"आज अगर लंच थोड़ा लेट कर लेता तो क्या हो जाता" ? 

अब भव्य को सारा माजरा समझ में आ चुका था । उसने पर्दा उठाते हुए कहा "इसमें एक बहुत बड़ा राज छुपा हुआ है सर । दरअसल उसका लंच उसकी गर्लफ्रेंड मीरा लेकर आती है । वह अपने हाथों से ही खिलाती है उसे । श्री भी उसे अपने हाथों से ही खिलाता है । वह बेचारी दस पंद्रह किलोमीटर दूर से आती है रोज । उसे लंच खिलाकर ही वापिस जाती है । इसलिए वह लंच टाइम में और कुछ नहीं करता है । एक दिन वह मुझसे कह रहा था कि इस टाइम में अगर साक्षात भगवान भी उससे मिलने आ जायें तो भी वह उनसे लंच के बाद ही मिलेगा । इस कदर प्यार करता है वह मीरा को । और मीरा तो उसकी प्रेम दीवानी है । तभी तो वह अपने हाथों से खुद लंच तैयार करती है और अपने ही हाथों से खिलाती है उसे । लगता है कि दोनों को भगवान ने फुरसत से बनाया है" । 

बॉस यह सब सुनकर आश्चर्य चकित रह गया । आज के जमाने में ऐसा "दैवीय प्यार" कहां देखने को मिलता है ? वह अब समझा कि श्री ने क्यों कहा था लंच के बाद वह रिपोर्ट तैयार करने को । बॉस को महसूस हुआ कि उसने अनजाने में ही सही पर श्री का दिल दुखाया है और किसी सच्चे प्रेमी का दिल दुखाना भगवान का दिल दुखाने के समान है । पर अब क्या हो सकता था ? उसने उसे काम से निकालने का विचार त्याग दिया और भव्य को वह रिपोर्ट तुरंत तैयार करने को कह दिया  । 

श्री लंच के लिए एक केबिन में आ गया । यह केबिन उसके लिए फिक्स थी । वहां पर लंच बॉक्स लिए हुए मीरा पहले से ही बैठी हुई थी । श्री को देखकर वह खिल उठी 
"कब से बैठी हो" ? श्री उसके सामने की कुर्सी पर बैठते हुए बोला 
"बस, अभी आई हूं" और वह टिफिन में से खाना निकालने लगी 
"मीरा, एक बात कहूं" ? श्री का चेहरा एकदम गंभीर था । मीरा उस चेहरे को देखकर एकदम से डर गई । लेकिन तुरंत संयत होकर बोली 
"मुझे छोड़ने के अलावा कोई भी बात कह सकते हो और वह भी बेहिचक" । उसके अधरों पर एक शरारती मुस्कान तैर रही थी । 
"जब देखो तब ऊलजलूल बातें करती हो । तुम तो मेरी जिंदगी हो , मेरी धड़कन हो । मैं तुम्हें छोड़ने की बात सपने में भी नहीं सोच सकता हूं । हां, अगर तुम इसी तरह मुझे छेड़ती रही तो हो सकता है एक दिन ...." 

मीरा के हाथ काम करते करते अचानक रुक गये । उसकी आंखों में झांकते हुए बोली "उस तरफ तो सोचना भी मत । इस जन्म में तो पीछा छोड़ने वाली नहीं हूं मैं । हां, अगले जनम में सोच लेना" । मीरा ने एक ग्रास श्री के मुंह में रखते हुए कहा 
"मैं सीरियस हूं मीरा । तुम इस तरह लंच लेकर मत आया करो । आज ही बॉस मुझसे नाराज हो गये थे" । श्री ने भी एक ग्रास मीरा के मुंह में रखते हुए कहा । 
"क्यों क्या हुआ" ? 
"उन्होंने कोई अर्जेण्ट काम बताया था पर मैं इधर आ गया । तुम यहां बैठी रहो और मैं वहां काम करता रहूं तो यह कोई अच्छी बात है क्या" ? 
"एक लंच की क्या बात है , मैं तुम्हारे लिए बरसों इंतजार कर सकती हूं, श्री । अब आगे से ध्यान रखना श्री । मेरे कारण कोई रिस्क मत लेना । मीरा को तो श्री का इंतजार करने में बड़ा सुख मिलता है" । 

श्री ने मीरा के दोनों हाथ पकड़ लिये । उसकी आंखों में डूबकर बोला "किस मिट्टी की बनी हो मीरा ? अपना जरा सा भी खयाल नहीं है तुम्हें ? तुम्हारा और मेरा स्टेटस भी अलग अलग है । तुम महलों की रानी हो और मैं झोंपड़पट्टी का एक अदना सा आदमी । फिर भी तुम मेरे पीछे इस कदर पड़ी हो । क्या देखा तुमने मुझमें" ? 
"सब कुछ । एक लड़की को जो अपने पति में चाहिए वही देखा था तुम में । मेरे जैसी मीरा बहुत मिल जायेंगी मगर तुम्हारे जैसे श्री ढूंढे से भी नहीं मिलेंगे । मेरी एक बात मानोगे" ? 
"कहकर तो देखो" ? 
"शादी कर लो मुझसे ? अभी तो मैं केवल एक टाइम ही खाना खिला पाती हूं तब मैं दोनों टाइम खिला पाऊंगी " । वह खिलखिलाते हुए बोली ।
"तुम्हारे मम्मी पापा राजी होंगे" ? 
"उन्हें तो मैंने कब का मना लिया है । बस, आपके हां कहने की देर है" ? 

श्री सोचते हुए बोला "मीरा, मैं तुम्हें कुछ भी नहीं दे सकूंगा । मेरे साथ तुम ज्यादा दूर तक नहीं चल पाओगी । अच्छी तरह से सोच लो" । श्री का चेहरा उतरा हुआ था । 

मीरा ने उसका चेहरा अपने दोनों हाथों में ले लिया । श्री के गालों पर यहां वहां सब्जी लग गई । इससे वह और भी खूबसूरत लग रहा था । मीरा अपने होठों से उसके चेहरे पर लगी सब्जी साफ करने लगी । बड़ा अद्भुत दृश्य था । 

अभी वह अपना आधा काम ही कर पाई थी कि भव्य आ गया और बोला "सॉरी, सॉरी । मैं यहां कोई रंग में भंग डालने नहीं आया हूं बल्कि शुभ समाचार देने आया हूं कि वह रिपोर्ट मैंने तैयार कर बॉस को दे दी है । इसलिए अब तुम दोनों मजे से इश्क के पेंच लड़ा सकते हो" । इतना कहकर भव्य चला गया । श्री के चेहरे से भी परेशानी के भाव मिट गये । 

मीरा ने शादी की तारीख मुकर्रर कर दी । एक अक्टूबर । अब कोई ना नुकुर नहीं । श्री की इतनी हिम्मत भी नहीं थी कि वह मीरा की बातों में कोई हस्तक्षेप कर सके । लव मैरिज फिक्स हो गई थी । प्रतिलिपि परिवार में आनंद के बाजे बजने लगे थे । 

हम भी बारात की तैयारी करने लगे । क्यों साथियों ? तैयार हो ना बारात में चलने के लिए ? 

श्री हरि 
14.9.22 


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17 Comments

Pratikhya Priyadarshini

25-Sep-2022 12:32 AM

Bahut khoob 🙏🌺🙏

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shweta soni

17-Sep-2022 11:19 AM

👌👌👌

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